Monday, February 28, 2011

किताबों का अपना एक समुन्दर होता था...

किताबों का अपना एक समुन्दर होता था
खोये रहते थे उसमे
जब न कोइए संग होता था...

मिलते थे गुलाब सूखे हुए
मोर पंख से सजा पन्ना होता था...

किताबें बदलने के बहाने
उनके मखमली हाथों का छुना होता था...

छुप छुपा के 
सबसे नज़ारे चुरा के
किताबों में छुपा के 
मोहब्बत के पैगाम देना होता था...

किताबों का अपना एक समुन्दर होता था....

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