Saturday, March 12, 2011

जाने यह कैसा शहर है...

कोइए खफा हो जाता है
कोइए जुदा हो जाता है
जाने यह कैसा शहर है
हर अपना, बेगाना हो जाता है...

जिसको चाहो वोह मिलता नहीं
कोइए इसे बेवफाई
कोई नसीबो का खेल कह जाता है...

मिलाने की लाख कोशिश करते है फिर भी मिल नहीं पाते
रात न कटे तन्हाई में
कोइए इसलिए खवाब दे जाता है...

इस शहर में पूरी न हो सकी मोहब्बत जिसकी रोमिल 
वोह जन्नत में मिलाने का वादा दे जाता है...

जाने यह कैसा शहर है...

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