Thursday, April 14, 2011

तेरे दर

तेरे दर पर आके रोता हूँ मित्र के लिए
बड़ा बेबस हूँ अपने मुक़द्दर के लिए
कितने सजदे
कितनी मन्नते
इंसान सब कुछ करता है रोमिल
दिल की मजबूरियों के लिए...

#रोमिल

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