Sunday, April 24, 2011

तुझसे मुलाक़ात फिर होगी नाज़

तुझसे मुलाक़ात फिर होगी नाज़ 
यह उम्मीद ही काफी हैं मेरे जीने के लिए...
~*~
तेरी तस्वीर न हो मेरे पास
तेरा नाम की काफी हैं नाज़, तेरी बंदगी के लिए...
~*~
तुझे न हो मेरी बातों से लगन-लगी नाज़ 
मैं तुझसे करता हूँ बातें अपनी ख़ुशी के लिए...
~*~
न हो जन्नत में जगह मेरे लिए नाज़
मैं सदियों तक करता रहूँगा तेरा इंतज़ार अपने लिए...

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