Saturday, December 3, 2011

खवाबों के समुन्दर में खो जाते है...

चलो सो जाते है,
खवाबों के समुन्दर में खो जाते है
फिर सुबह होगी
ज़िन्दगी भाग-दौड़ में खो जाएगी
डूबती हुई शाम में चलो
चाय का प्याला हाथों में लेकर कुछ गुनगुनाते है

खवाबों के समुन्दर में खो जाते है...

चलो महकती हुई मोमबत्ती जलाते है
पानी में गुलाब सजाते है
चाँद को खिड़की से निहारते है
कुछ गुनगुनाते है


चलो अब सो जाते है
खवाबों के समुन्दर में खो जाते है...
...
(⁀‵⁀) .
.`⋎´

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