Tuesday, January 31, 2012

माँ का चेहरा देख लेता था तो हज मेरी हो जाती थी.

माँ का चेहरा देख लेता था तो हज मेरी हो जाती थी.
उसकी सेवा कर लूं तो, इश्वर-सेवा की खवाइश पूरी हो जाती थी.

खुदा ने भी कुरान में माँ को जन्नत सा दर्जा दिया
उसके क़दमो में मुझे जन्नत मिल जाती थी.

आँखों से उसके सारा संसार देख लेता था
उसकी उंगलियाँ पकड़कर हर मंजिल मुझे मिल जाती थी.

थी ममता उसमे इतनी सागर भी कम पड़ जाये
रोमिल उसकी बाहों में मुझे हर ख़ुशी मिल जाती थी...   

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