Wednesday, January 11, 2012

ज़िन्दगी नहीं हर एक पल जैसे मौत का है...

ज़िन्दगी नहीं हर एक पल जैसे मौत का है
फिर भी दिल को यकीन खुशियों का है.

आंसूओं को झलकने की ऐसी आदत हो गई है
जैसे हर एक पल शोक का है.

मैं चला जाऊं कहीं दूर सबसे 
डर मुझे अपने दिल के शोर का है.

किससे करे हम वफ़ा की उम्मीद रोमिल
हर शख्स तो बेवफा सा है...

No comments:

Post a Comment