Thursday, January 26, 2012

राह में मशाल जलाये रहती थी

राह में मशाल जलाये रहती थी
मुझको ज़िन्दगी की ठोकरों से बचाए रहती थी...

यम नहीं आता था मेरे करीब
दुआओं की ऐसी ताबीज़ पहनाई रहती थी...

गायब हो जाते थे मेरी आंसू पल भर में जाने कहाँ
वोह खुशियों की ऐसी चादर मुझे उड़ा देती थी...

एक रोज़ ऐसा हुआ मैं रात को भूखा सो गया
रोमिल, एक रोज़ ऐसा हुआ मैं रात को भूखा सो गया  
उस रोज़ से मेरी माँ मुझे बिना खिलाये नहीं सोती थी...

मेरे गुस्से पर भी प्यार बरसाती थी
मेरी माँ ऐसी ममता की मूरत होती थी...

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