Friday, January 27, 2012

माँ क्या मिली मैं खुदा को भी भूल गया...

माँ क्या मिली मैं खुदा को भी भूल गया...
अब और क्या कहने को रह गया...

उसकी आँखों में इतनी ममता दिखी
मैं उसी जन्नत में सुकून-चैन से रह गया...

उसकी गोद में इतना आराम मिला
सब ऐसो-आराम का सामान धरा सा रह गया...

हर जन्म में यही माँ मिले
रोमिल, मेरी सब आरजूओं का बस यही एक सार रह गया...

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