माँ क्या मिली मैं खुदा को भी भूल गया...
अब और क्या कहने को रह गया...
उसकी आँखों में इतनी ममता दिखी
मैं उसी जन्नत में सुकून-चैन से रह गया...
उसकी गोद में इतना आराम मिला
सब ऐसो-आराम का सामान धरा सा रह गया...
हर जन्म में यही माँ मिले
रोमिल, मेरी सब आरजूओं का बस यही एक सार रह गया...
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