यह मंदिर, यह मस्जिद, यह दर कुछ भी नहीं
रोमिल, मेरी माँ के कदमो के सिवा कुछ भी नहीं
रोमिल, मेरी माँ के कदमो के सिवा कुछ भी नहीं
बिन मांगे ही हर खवाइश पूरी हो जाती है
यह पत्थर के भगवानों के वादे कुछ भी नहीं...
ममता, प्यार, दुलार, स्नेह का ऐसा संगम है
जिसके आगे संगम स्थल कुछ भी नहीं...
शिष्टाचार, व्यवहार, ज्ञान, इंसानियत का वोह सबक मिला है
जिसको पढ़कर, किताबों के सबक कुछ भी नहीं...
ममता, प्यार, दुलार, स्नेह का ऐसा संगम है
जिसके आगे संगम स्थल कुछ भी नहीं...
शिष्टाचार, व्यवहार, ज्ञान, इंसानियत का वोह सबक मिला है
जिसको पढ़कर, किताबों के सबक कुछ भी नहीं...
No comments:
Post a Comment