Thursday, February 9, 2012

ऊन के गोले में छोटे-छोटे सपने बुनती माँ

ऊन के गोले में छोटे-छोटे सपने बुनती माँ
तेरे आने की घड़ियों में कभी सोती, कभी जागती माँ.

खिलौनों को सजेती, कभी खुद खिलौना बन जाती माँ
कभी काजल का टीका लगाती, कभी नज़र उतारती माँ.

कीवाड़ पर तेरी राह देखती, तेरी चिंता में न सोये माँ
कभी जबरदस्ती तो कभी कहानी-लोरी गाकर सुलाए माँ.

कभी डांटे, कभी लाड-दुलार दिखाए माँ
रोमिल, बच्चे से चाहे जितनी भी दूर हो, फिर भी दिल में रहती माँ.

#रोमिल

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