Sunday, February 12, 2012

रब के घर में जब याद मेरी आये

माँ... रब के घर में जब याद मेरी आये,
तो रुकना मत,
मेरे पास वापस लौट आना.

फ़रिश्ते का हाथ पकड़ कर,
महारानी के पलने में सोते हुए आना.

अगर चाँद, चांदनी न दे,
तो रास्ते में डरना मत,
अपनी बन्द आँखों में मेरी सूरत लिए बस चली आना.

जब रास्ते में बादल डराए,
जोर जोर से आवाज़ सुनाये
तो उदास मत होना,
हवाओं के झोखे पर हाथ रखते हुए धीरे - धीरे,
मेरा नाम लेते हुए चली आना,

जब तुमको दूरी बहुत लगे,
मन साथ न दे,
रब के घर में ही ख़ुशी मिले,
तो मायूस मत होना,
वही रहना,
खूब खुश रहना,
शांति से रहना,
और महारानी के पलंग में आराम करना.

मगर जब तुम्हें मेरी याद आये,
तो रूकना मत,
घबराना मत,
मुझे अपना समझाना,
और माँ अपने रोमिल के पास चली आना...

2 comments:

  1. how sweet raj..
    Kahan se nikalte ho aise chune wale shabd..kash ke rbb ka b dil hota aur wo b rota to zrur apki kamna puri krta..

    Ruh ko hilakr rkh deti hai apki compositions..

    Too gud..

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  2. sukriya Pari.

    waise bete k exam par dhyan do. ok.

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