शाम होते ही सब घर लौट आते है,
माँ न जाने आप कब आओगे...
कब मेरे घर आने का इंतज़ार करोगे
माँ न जाने आप कब आओगे...
कब मेरे घर आने का इंतज़ार करोगे
कब मुझे थोडा डांट कर समझाओगे,
कब फिर वही प्यार से खाना खिलाओगे
कब दूध का ग्लास, पानी का लोटा, मिठाई, फल मेरे सिरहाने रखकर आप सो जायोगे.
माँ न जाने आप कब आओगे...
पर शायद माँ आप कभी नहीं आओगे,
न मुझे हँसाओगे,
न जाने फिर ऐसी ही कितनी रातें यादों में बीत जायेंगी,
माँ आप कभी नहीं आयोगे...
मैं आपसे रुबरु होने के लिए हमेशा प्यासा ही रहूँगा,
सपनो में हमेशा अपनी दुनिया बसाऊंगा.
माँ, शाम होते ही सब घर लौट आते है,
न जाने आप कब आओगे
न जाने फिर ऐसी ही कितनी रातें यादों में बीत जायेंगी,
माँ आप कभी नहीं आयोगे...
मैं आपसे रुबरु होने के लिए हमेशा प्यासा ही रहूँगा,
सपनो में हमेशा अपनी दुनिया बसाऊंगा.
माँ, शाम होते ही सब घर लौट आते है,
न जाने आप कब आओगे
अपने रोमिल के पास न जाने कब आओगे...
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