Monday, March 19, 2012

जब कभी घर में गए दरवाज़े बंद मिले.

जब कभी घर में गए
दरवाज़े बंद मिले.

कोई नहीं अपना सगा 
सब अनजान मिले.

केसरिया शाम जब आई घर हमारे 
हम तख्त पर सोते मिले.

गंगाजल पीने के बाद विष बोले उसकी जुबान
ऐसे महबूब से हम मिले.

धीरे से बोल गई माँ मेरे कानो में
अब तुझसे "रोमिल" हम जन्नत में ही मिले.

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