Tuesday, March 20, 2012

घुटने और कोहनियों के बल चलकर माँ के पास जाता था

घुटने और कोहनियों के बल चलकर माँ के पास जाता था
दूर से देखकर खिलखिलाता था
फिर पीछे मुुुड़
कर भाग जाता था.
बस इसी तरह घर की गैलरी में दोपहर बिताता था.

अपने हाथों को हाथों पर रखकर
मुट्ठी बंद कर
डबल बेड के बीच में सोता था
बीच में उठ - उठकर माँ को पुकारता था
बस इसी तरह अपनी दोपहर बिताता था.

तीसरी कक्षा में प्रथम श्रेणी आने पर मिली रेस कार को
गैलरी में दौड़ाता था
खूब हौ-हल्ला करता था
माँ की डांट खाता था
बस इसी तरह अपनी दोपहर बिताता था.

घोड़े के पीछे तपती दोपहर में दौड़ा करता था
न खाने-पीने की सुध रहती थी
न पढाई करता था
घर लौटने पर माँ की डांट खाता था
बस इसी तरह अपनी दोपहर बिताता था.

#रोमिल

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