घुटने और कोहनियों के बल चलकर माँ के पास जाता था
दूर से देखकर खिलखिलाता था
फिर पीछे मुुुड़कर भाग जाता था.
दूर से देखकर खिलखिलाता था
फिर पीछे मुुुड़कर भाग जाता था.
बस इसी तरह घर की गैलरी में दोपहर बिताता था.
अपने हाथों को हाथों पर रखकर
मुट्ठी बंद कर
डबल बेड के बीच में सोता था
बीच में उठ - उठकर माँ को पुकारता था
बस इसी तरह अपनी दोपहर बिताता था.
तीसरी कक्षा में प्रथम श्रेणी आने पर मिली रेस कार को
गैलरी में दौड़ाता था
खूब हौ-हल्ला करता था
माँ की डांट खाता था
बस इसी तरह अपनी दोपहर बिताता था.
घोड़े के पीछे तपती दोपहर में दौड़ा करता था
न खाने-पीने की सुध रहती थी
न पढाई करता था
घर लौटने पर माँ की डांट खाता था
बस इसी तरह अपनी दोपहर बिताता था.
अपने हाथों को हाथों पर रखकर
मुट्ठी बंद कर
डबल बेड के बीच में सोता था
बीच में उठ - उठकर माँ को पुकारता था
बस इसी तरह अपनी दोपहर बिताता था.
तीसरी कक्षा में प्रथम श्रेणी आने पर मिली रेस कार को
गैलरी में दौड़ाता था
खूब हौ-हल्ला करता था
माँ की डांट खाता था
बस इसी तरह अपनी दोपहर बिताता था.
घोड़े के पीछे तपती दोपहर में दौड़ा करता था
न खाने-पीने की सुध रहती थी
न पढाई करता था
घर लौटने पर माँ की डांट खाता था
बस इसी तरह अपनी दोपहर बिताता था.
#रोमिल
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