Sunday, April 8, 2012

दे दो न माँ आँखों में कोई स्वपन सुहाना

आज कुछ मांगता हूँ माँ
दे दो न माँ
आँखों में कोई स्वपन सुहाना

घुटनों - हाथों के बल चलकर आना
बेमतलब का खिलखिलाना
बिना बात के ही आँखों में आंसू आ जाना
चुप्पी को तोड़ कर जोर से चीखना-चिल्लाना
दोनों हाथ खोलकर दौड़ते हुए आना
हाथों की उंगली पकड़कर चलते चले जाना
सिर पर प्यार से थपकी देना
बिना आहट के बिस्तर से उठ जाना
नल खोल कर, उसके नीचे बैठ कर नहाना 
मंदिर में जाकर घंटा बजाना
आइसक्रीम शर्ट पर गिराना
इंक से हाथों को नीला करना
कागज़ का जहाज़ बनाना
किताबों में चित्र बनाना
मिट्टी के घर को सजाना.   

दे दो न माँ
आँखों में कोई स्वपन सुहाना

- रोमिल

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