Saturday, April 21, 2012

कागज़ की नाव देर तक नहीं चलती

कागज़ की नाव देर तक नहीं चलती 
माँ के बिना ज़िन्दगी नहीं चलती.

आइना से जाकर पूछ तो ले "कौन है तेरा अपना?" 
झूठे वादों से रिश्तों की मेहंदी नहीं सजती. 

पत्थर ही पत्थर है सब लोग इस शहर के 
भीड़ किसी के दिल की आवाज़ नहीं सुनती.  

इतना झुक चूका है तू मोहब्बत के लिए रोमिल 
ऐसी बुलन्दी हर किसी को नहीं मिलती. 

- रोमिल

No comments:

Post a Comment