लोग कहते है बड़े होने के साथ इंसान बदलने लगता है... पर मैं शायद नहीं...
१. मैं आज भी ऑफिस उसी दुखी, उदास चहरे से जाता हूँ, जैसे बचपन में रिक्शा में बैठकर रोते हुए स्कूल जाता था. मुझे कुर्सी पर बैठकर ०८-०९ घंटे काम करना... बोरिंग है एक दम..
२. मुझे आज भी बाल कटवाना, दाढ़ी बनाना... वेस्ट ऑफ़ टाइम लगता है... बेवकूफ जैसे सैलून में बैठे रहो... इंतज़ार करो कब अपना नंबर आएगा.
३. मुझे आज भी कुल्फी उतनी पसंद है, जितनी बचपन में थी. मन करता है एक बार में ४-५ खा जाऊं. हा हा हा...
४. मैं आज भी दोस्ती और दुश्मनी दोनों बहुत शिद्दत के साथ करता हूँ.
५. मैं आज भी माँ से उतना ही प्यार करता हूँ, जितना बचपन में करता था. सच्ची बाबा.
६. मैं आज भी तकिये को जप्पी पाकर सोता हूँ, जैसे बचपन में सोता था.
७. आज भी मैं बचपन की तरह नंगू-पूंगु होकर नहाता हूँ. हा हा हा हा हा हा...
८. मैं आज भी अपने बैग में गीता और कुरान रखता हूँ, जैसे बचपन में स्कूल बैग में रखता था.
९. बचपन की तरह आज भी मैं अकेले में रोना पसंद करता हूँ, आइना के सामने प्राथमिकता रहती है.
१०. आज भी मैं अपने सच्चे प्यार को पाना चाहता हूँ... जिस तरह बचपन में चाहता था... हर बार प्यार मेरे करीब आता है फिर बिछड़ जाता है... न जाने क्यों?
मन से सुन्दर रहो यार...
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