खुदा ज़रा देख मेरे घर को
माँ को दो घडी ही सही भेज दे मुझे सुलाने को
इतना भी ताक़त का नशा अच्छा नहीं होता
खुदा सताए किसी बच्चे को
कुछ तो हो जाते कम मेरे आंसू
बाहों में भरकर माँ जो झुला देती मुझको
और
जितने मूहं उतनी ही बातें हैं चारों तरफ
दीवाने है दुनिया वाले उसका नाम लेकर चिड़ाते है मुझको।
- रोमिल
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