लखनऊ की गलियारों में फिरने वाले शहज़ादे हैं हम
इश्क़ में जान जो लूटा दे वोह इश्क़जादे है हम
नए सफ़र पर रवाना हो चले है
नया नाम, नई शख्सियत हैं हम।
और
खुदा तुझसे दौलत- शौहरत की आरज़ू नहीं है मेरी
बस माँ की दीद के प्यासे है हम।
और
हिसार-ए-शौक इतना भी अच्छा नहीं है उसका
कोई बता दे उसको
हिसार-ए-शौक इतना भी अच्छा नहीं है उसका
मनचले नहीं मुहब्बत की कद्र वाले है हम।
- रोमिल
No comments:
Post a Comment