Sunday, July 13, 2014

वोह मासूम सा लड़का

वोह मासूम सा लड़का
जो दूसरों को ज़िन्दगी जीने की हिम्मत देता था
कमजोरों को हौसला देता था 
राह में चलते-चलते किसी भी अज़नबी के होंठों पर मुस्कान बिखेर देता था
हर पल गुदगुदाता
हर पल मुस्कुराता
जो सच का आईना होता था।  

जब रोना हो तो चुपके से बाथरूम में जाकर आईना के सामने रो लेता था। 

रात को उठकर चाँद को चुटकुले सुनाता
शायरी सुनाता
तारों से बातें करता था
अंधेरों को गीत सुनाता। 

सुना है कल रात उसने खुदखुशी कर ली।

#रोमिल

No comments:

Post a Comment