Monday, December 6, 2010

आपको देख कर एहसास होता हैं...

आपको देख कर एहसास होता हैं 
शहर में कोइए अपना भी रहता हैं...
नज़ारे मिलाओ या न मिलाओ
दिल को यह खबर हैं 
आपकी नज़रों में कोइए रहता हैं...
*
सोच कर बिछड़े होते तो दिल को कसक न होती
मेरी यादों में आज भी कोइए मुसकुराता हैं 
कोइए रोता हैं...

आपको देखकर एहसास होता हैं 
शहर में कोइए अपना भी रहता हैं...
*

रात भर बोलते हैं मुझसे सन्नाटे
तू यहाँ करवट लेता हैं
कोइए वहां करवट लेता हैं...

आपको देख कर एहसास होता हैं 
शहर में कोइए अपना भी रहता हैं...
*
हमको ऐसे न देखो सनम जाते हुए
फिर यह रास्ता 
यह करवा न थम जाये
कभी याद करना इस शहर को भी 
इस शहर में आज भी कोइए तेरा दीवाना रहता हैं...
आपको देख कर एहसास होता हैं 
शहर में कोइए अपना भी रहता हैं...
[written by Romil - copyright reserved]

No comments:

Post a Comment