Saturday, December 4, 2010

नादान-ए-दिल तुझे यह क्या हो गया है...

नादान-ए-दिल तुझे यह क्या हो गया है...
हर किसी से क्यों खफा हो गया है...
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उसकी बेवफाई को भूल क्यों नहीं जाता
यह तो अमीर लोगों का चलन हो गया है...
*
किस-किस के खिलाफ उठाओगे तुम पत्थर
आज कल शैतान ही खुदा हो गया है...
*
किस बादशाह के दरबार में करोगे फरियाद
सियासत भी चंद लोगों की कटपुतली हो गया है...
दौलत से क्या नहीं होता आज के ज़माने में रोमिल
इन्सान तोह बस मिटटी का खिलौना हो गया है...
[WRITTEN BY ROMIL - COPYRIGHT RESERVED] 

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