Friday, December 10, 2010

यह अजमल कसाब न बन पाए...

चलो यार भूख से मर जाये
ज़मीर न अपना गिरने पाए...
*
सर कटा दे यार शान से
किसी बेरहम के सामने सर झुकने न पाए...
*
कटपुतली का यह कैसा बाज़ार लगा हैं
हम इंसान हैं
कटपुतली न बन पाए...
*
शैतान की गिरफ्त से दूर रखो 
यह मुस्लिम हैं
यह हमारे भाई हैं 
यह अजमल कसाब न बन पाए...
[written by Romil - copyright reserved]

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