चलो यार भूख से मर जाये
ज़मीर न अपना गिरने पाए...
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सर कटा दे यार शान से
किसी बेरहम के सामने सर झुकने न पाए...
*
कटपुतली का यह कैसा बाज़ार लगा हैं
हम इंसान हैं
कटपुतली न बन पाए...
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शैतान की गिरफ्त से दूर रखो
यह मुस्लिम हैं
यह हमारे भाई हैं
यह अजमल कसाब न बन पाए...
[written by Romil - copyright reserved]
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