Thursday, December 9, 2010

जैसे...

मेरे माथे पर उसका लब
सितारा हो जैसे...
मैं उसमे समांऊ  
गुलाब में भवरा हो जैसे... 
*
चाँद की चांदनी 
उसका आँचल हो जैसे
मैं आँखों में खो जाऊ
सुनहेरा खवाब हो जैसे...
*
उसकी करवट से जाग जाये
सूरज हो जैसे...
मैं उसके खयालो में खो जाऊ
बादल में छुपा चाँद हो जैसे...
*
उसके गेसू से उलझा रहूँ
काँटों में फसा दुपट्टा हो जैसे...    
मैं बेमौसम ही बरस जाऊ
धुप में बरसात हो जैसे...
[written by Romil - copyright reserved]

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