Wednesday, December 29, 2010

सुनो... सनम...

सुनो... सनम...
अगर दर्द-ए-दिल बढ़ाना हैं तुमको
सनम, कभी हमको भीड़ में पुकार लेना...
*
जो रहना चाहती हो रात भर दूर नींद से
सनम, एक बार हमसे नज़ारे मिला लेना...
*

अगर लगाना चाहती हो पाक-ए-रूह में आग
सनम, दो क़दम बढ़ कर हमको गले लगा लेना...
*
जो रहना चाहती हो उम्र भर नाशे के खुमार में
सनम, अपने होंठ को मेरे होंठ से लगा लेना...
[written by Romil - copyright reserved]

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