Tuesday, December 14, 2010

लुफ्त भी क्या सर्दिओं के हुआ करते थे

लुफ्त भी क्या सर्दिओं के हुआ करते थे
हम भी जब इश्क उनसे किया करते थे... - २ 
*
छत पर बैठे-बैठे धूप का सेकना
आँखों से उनको देर तक निहारना
अंखियो के पेंच खूब लड़ा करते थे
लुफ्त भी क्या सर्दिओं के हुआ करते थे
हम भी जब इश्क उनसे किया करते थे... - २ 
*
माँ का वोह प्यार से सर पर नारियल का तेल लगाना
स्वेअटर, रजाई को घर कि मुंडेरी पर डालना
गद्दा बिछा कर जब हम 
ताश, सांप-सीडी, कैरम खेला करते थे
लुफ्त भी क्या सर्दिओं के हुआ करते थे
हम भी जब इश्क उनसे किया करते थे... - २
*
शाल में लिपटे हुए
उनका बाजू से निकल जाना
जब हम सड़क के नुक्कड़ पर खड़े चाय पिया करते थे
धूप निकलते हुए उनके कमरे कि खिड़की का खुल जाना
शुक्रिया हम सूरज का किया करते थे
लुफ्त भी क्या सर्दिओं के हुआ करते थे
हम भी जब इश्क उनसे किया करते थे... - २
*
लुफ्त भी क्या सर्दिओं के हुआ करते थे
हम भी जब इश्क उनसे किया करते थे... - २
[written by Romil - copyright reserved]

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