मुमकिन नहीं दुनिया-ए-जहाँ मुझसे छीन ले
तेरी याद मेरे सीने से लिपटी रहेगी...
*
वक़्त के सफ़र में हम नहीं होंगे साथ
मेरी नज़रे तेरे इंतज़ार में लिपटी रहेगी...
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ख़त पढ़ते ही आ जाएगी होंठों पर मुस्कान
तेरी छाव, मेरी धुप से लिपटी रहेगी...
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कभी यूँ सुना तेरा नाम हवाओं से
तेरी आवाज़ मेरे कानो से लिपटी रहेगी...
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सावन के महीने में
बारिश की बूँदें लिपटी रही डालियो से
तेरी महक मेरे जिस्म से लिपटी रहेगी...
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