Tuesday, December 7, 2010

मुमकिन नहीं दुनिया-ए-जहाँ मुझसे छीन ले

मुमकिन नहीं दुनिया-ए-जहाँ मुझसे छीन ले
तेरी याद मेरे सीने से लिपटी रहेगी...
*
वक़्त के सफ़र में हम नहीं होंगे साथ
मेरी नज़रे तेरे इंतज़ार में लिपटी रहेगी...
*
ख़त पढ़ते ही आ जाएगी होंठों पर मुस्कान
तेरी छाव, मेरी धुप से लिपटी रहेगी...
*
कभी यूँ सुना तेरा नाम हवाओं से 
तेरी आवाज़ मेरे कानो से लिपटी रहेगी...
*
सावन के महीने में  
बारिश की बूँदें लिपटी रही डालियो से
तेरी महक मेरे जिस्म से लिपटी रहेगी...
[WRITTEN BY ROMIL - COPYRIGHT RESERVED]

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