Friday, August 12, 2011

किस बात की सफाई देना चाहता है वो

न जाने
किस बात की सफाई देना चाहता है वो
हमने तो यह भी नहीं कहाँ गुनहगार है वो.
.
.
.
.
वैसे भी
शतरंज सी उलझी है मेरी ज़िन्दगी
दो चालों में ही इश्क की बाज़ी हार गया वो.
.
.
.
.
किताबों के पन्नो को पलटकर सोचता हूँ मैं रोमिल
क्या ज़िन्दगी भी पीछे पलटकर, मेरे साथ शुरु कर सकता है वो.
.
.
.
.
.
और खुद को क्यों इल्ज़ाम देते हो अनजाने सफ़र के साथी
अपनी तबियत ही कुछ ऐसी है कि हर जगह नज़र आता है वो.

#रोमिल

No comments:

Post a Comment