न जाने
किस बात की सफाई देना चाहता है वो
हमने तो यह भी नहीं कहाँ गुनहगार है वो.
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वैसे भी
शतरंज सी उलझी है मेरी ज़िन्दगी
दो चालों में ही इश्क की बाज़ी हार गया वो.
किस बात की सफाई देना चाहता है वो
हमने तो यह भी नहीं कहाँ गुनहगार है वो.
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वैसे भी
शतरंज सी उलझी है मेरी ज़िन्दगी
दो चालों में ही इश्क की बाज़ी हार गया वो.
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किताबों के पन्नो को पलटकर सोचता हूँ मैं रोमिल
क्या ज़िन्दगी भी पीछे पलटकर, मेरे साथ शुरु कर सकता है वो.
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और खुद को क्यों इल्ज़ाम देते हो अनजाने सफ़र के साथी
अपनी तबियत ही कुछ ऐसी है कि हर जगह नज़र आता है वो.
क्या ज़िन्दगी भी पीछे पलटकर, मेरे साथ शुरु कर सकता है वो.
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और खुद को क्यों इल्ज़ाम देते हो अनजाने सफ़र के साथी
अपनी तबियत ही कुछ ऐसी है कि हर जगह नज़र आता है वो.
#रोमिल
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