Saturday, August 13, 2011

रास्ते अनजान से नज़र आते है

रास्ते अनजान से नज़र आते है
दूर-तलक किसी के खून से सने क़दमों के निशां से नज़र आते है
भर आई आँखें यह मंजर देखकर रोमिल
हाथों में हाथ पकड़े दो दीवानों लाश से नज़र आते है!

कौन कातिल?
किसका क़त्ल हुआ?
यह सवाल खुद गुमनाम से नज़र आते है.

दो क़दम चला कि
दिल बोल उठा रोमिल
घर की दीवारों में कितने पंछी आज भी क़ैद नज़र आते है.

और कौन देगा इनकी लाश को कन्धा 
घर वाले ही इनके कातिल नज़र आते है.

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