Monday, August 15, 2011

तेरी बातों की बौछार में भीग जाना चाहता हूँ

तेरी बातों की बौछार में भीग जाना चाहता हूँ
मैं आज बरसात का मज़ा लेना चाहता हूँ.

तेरा चेहरा धुंधला-धुंधला सा नज़र आता है
खिड़की के शीशे पर पड़ी पानी की बूंदों के पीछे से
मैं आज फिर तुझे छुप के निहारना चाहता हूँ.

तेरे ख़त आते रहते थे तोह दिल को यह तसल्ली थी
कि मेरा कोइए अपना है
मैं आज फिर उसी अपनेपन का शिकार होना चाहता हूँ.

तू इतनी करीब है कि बहुत दूर सी लगती है
मैं आज तुझसे वही दूर वाला सच्चा प्यार चाहता हूँ.

तेरी बातों की बौछार में भीग जाना चाहता हूँ
रोमिल, मैं आज बरसात का मज़ा लेना चाहता हूँ....

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