Monday, February 6, 2012

माँ केवल माँ नहीं प्रेम का सागर है.

कितना गहरा इसमें प्यार समाया
मेरे जीवन का संसार समाया
भक्ति, आदर्श, संसार का गागर है
माँ केवल माँ नहीं प्रेम का सागर है.

माँ ने ही जीवन दिया
माँ ने ही जीवन सवारा है
पल पल हर पल साथ दिया
हर कष्ट से माँ ने ही उभारा है

भूख, प्यास सब सह लेती है
बच्चों की अभिलाषा के लिए व्रत रख लेती है
जग बदला यह सारा है
माँ का प्यार वही अनोखा, निराला है.

ब्रह्मा की सबसे महान रचना है
सृष्टि में माँ जैसा न कोई दूजा है
अपने बच्चों की पीड़ा पल भर में हर लेती है
माँ, बच्चों की ख़ुशी के लिए सुख-चैन त्याग देती है.

कितना गहरा इसमें प्यार समाया
मेरे जीवन का संसार समाया
भक्ति, आदर्श, संसार का गागर है
रोमिल, माँ केवल माँ नहीं प्रेम का सागर है.

No comments:

Post a Comment