माँ के आँचल से लिपट जाऊँ
क़ाश मैं भी बच्चा बन जाऊँ.
प्यार के गाँव में घर बसाऊँ
क़ाश मैं भी सुख की छाव पाऊँ.
घर में गूंजे किसी बिटिया की हँसी
क़ाश मैं भी किसी को अपना दोस्त बनाऊँ.
ज़िन्दगी यूँ भी जले रोशनी दे सबको
क़ाश मैं भी दीपक बन जाऊँ.
मैं चुप रहूँ, माँ बोलती रहे
रोमिल मैं चुप रहूँ, माँ बोलती रहे
क़ाश उसकी बोली में मैं मिसरी की तरह घुल जाऊँ.
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