माँ तुम्हे क्या मैं अपनी आप बीती सुनाऊ
यह आंसू पल भर में आ जाते है.
मन विचलित सा रहता है
खुशियों के फूल पल भर में बिखर जाते है.
दिमाग में चलते-फिरते एक बेचैनी सी रहती है
सपने भी धुआं सा हो जाते है
जीवन में काम हजारों है
दौड़ धूप के बीच आराम के पल खो जाते है.
सब कुछ पास होते हुए भी
यह हाथ खाली हाथ ही रह जाते है.
माँ तुम्हे क्या मैं अपनी आप बीती सुनाऊ
यह आंसू पल भर में आ जाते है.
- रोमिल
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