Monday, March 26, 2012

जब चलते - चलते थक जाऊं

जब चलते - चलते थक जाऊं
मेरी माँ 
पीपल, नीम, आम के पेड़ की छावं जैसे

हर पल देती मुझे आसरा 
मेरी माँ 
पंछी, नर-नारी, कीट-पतंगों को वृक्ष देता घर जैसे 

जेठ मास में धधकते सूरज से बचाती
मेरी माँ 
चबूतरे पर दूर होती थकान जैसे

मेरी हर खुशियाँ पूरी करती
मेरी माँ
नीम दातुन, मीठा आम, पीपल के वृक्ष से मिले अनेक गुण जैसे

जब चलते - चलते थक जाऊं
मेरी माँ 
पीपल, नीम, आम के पेड़ की छावं जैसे

- रोमिल

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