Monday, March 26, 2012

मेरी और माँ की यादें हो जैसे.

रुमालों से आती हो इत्र की महक जैसे
छुपाके संजोके रखे हो चित्र जैसे
किताबों में रखे हो गुलाब जैसे
मेरी और माँ की यादें हो जैसे.


पहली ओस की बूँद हो जैसे
बारिश में घीली मिट्टी से आती खुशबू हो जैसे
आसमान में पूरा चाँद हो जैसे
मेरी और माँ की यादें हो जैसे.


आँखों से गिरती आंसू की बूँद जैसे
लबों पे आती प्यास हो जैसे
बिन बात होंठों पे मुस्कान जैसे
मेरी और माँ की यादें हो जैसे.


बिन बात पे गुनगुनाते गीत जैसे
बिन बारिश के कड़के बादल जैसे
अनजान पते पर भेजी गई चिट्ठियाँ जैसे
मेरी और माँ की यादें हो जैसे. 


- रोमिल



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