Thursday, March 1, 2012

नज़र आती है...

बढ़ती उम्र में यह बात समझ आती है
किसी के चहरे पर इंतज़ार की घड़ियाँ नज़र आती है...

धुंधली सी एक दूर परछाई सी नज़र आती है
खामोश उदास सी मोड़ पर खड़ी हुई है
अपने बच्चों से बिछड़ी माँ नज़र आती है...

छुप - छुप के निहारा करती
उसकी हज़ार इच्छाएं नज़र आती है
ढेर सारी आँखों में संजोये सपनों की बारात नज़र आती है...

मृत्युं के बाद भी इंसान किस तरह तरफ्ता है
रोमिल मृत्युं के बाद भी इंसान किस तरह तरफ्ता है 
उसकी बेबसी की कहानी नज़र आती है...

No comments:

Post a Comment