माँ की मुस्कान
जैसे सुबह - सुबह प्रकृति का गान
जैसे वन में गूंजती मधुर तान
जैसे चिड़ियों का शोर
जैसे वन में नाचे मोर
जैसे नदी में गिरते झरने की आवाज़
जैसे बज रहा हो कोई साज
जैसे मंदिर में हो रही आरती
जैसे संग नाचे साथी
जैसे भरी दोपहर में पीपल की छाया
जैसे किसी बालक को भोजन कराती उसकी मैया.
हमेशा खिलखिलाती रही यह मुस्कान
हमेशा बजता रहे यह गान
कभी न दूर हो यह छैयां
हमेशा संग रहे मैया.
जैसे सुबह - सुबह प्रकृति का गान
जैसे वन में गूंजती मधुर तान
जैसे चिड़ियों का शोर
जैसे वन में नाचे मोर
जैसे नदी में गिरते झरने की आवाज़
जैसे बज रहा हो कोई साज
जैसे मंदिर में हो रही आरती
जैसे संग नाचे साथी
जैसे भरी दोपहर में पीपल की छाया
जैसे किसी बालक को भोजन कराती उसकी मैया.
हमेशा खिलखिलाती रही यह मुस्कान
हमेशा बजता रहे यह गान
कभी न दूर हो यह छैयां
हमेशा संग रहे मैया.
#रोमिल
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