साँझ हो चली, माँ लौट आओ
पंछियों का कोलाहल खत्म हो गया, माँ लौट आओ
किसान का हल ठहर चूका हैं, माँ लौट आओ
दिन की ज्योति हो गई पूरी, माँ लौट आओ
लगे है तारे टिमटिमाने, माँ लौट आओ
सपनों ने है पंख फैलाये, माँ लौट आओ
बेटे ने माँ को पुकारा, माँ लौट आओ
घनी रात का हो रहा हैं फैलाओ, माँ लौट आओ.
- रोमिल
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