Sunday, April 15, 2012

लगता है कल की ही बात हैं

लगता है कल की ही बात हैं
माँ रसोई में खीर बना रही हो
हवा में उडती सुगंध आ रही हो
मन ललचा रहा हो
न जाने कहाँ से एक झोंका आया
उड़ा ले गया सब कुछ
दे गया ढेर सारे आंसू.

लगता है कल की ही बात हैं
माँ चाय बनाकर दे रही हो
हम शाम का लुफ्त उठा रहे हो
टीवी पर अमृतसर से गुरबानी का सीधा प्रसारण चल रहा हो
न जाने कहाँ से एक झोंका आया
उड़ा ले गया सब कुछ
दे गया ढेर सारे आंसू.



बार-बार पलट कर देखता हूँ
जैसे कल की ही बात हो
आंसू को पोछकर मुस्कुराता हूँ
हवा में हाथ हिलाता हूँ
बीते लम्हों को गले लगाता हूँ
ढेर सारे आंसू को अपना बनाता हूँ.
जैसे कल की ही बात हो.

- रोमिल

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