Monday, April 16, 2012

हैरत हुई है यह देखकर

हैरत हुई है यह देखकर
रौनक नहीं है चेहरे पर
न जाने कहाँ खो गए
सारे खुशियों के पंख उड़ गए.

आइना में देखकर अब इतराते नहीं
चेतना से भर हम जाते नहीं
न अब सुबह अख़बार पढ़ने का चलन रह गया
न ही ईश्वर में श्रद्धा भाव रह गया.


उल्लासों से भरा हृदय नहीं अब
जीवन मंगलमय नहीं अब
गूंजता-गाता, अम्बर नहीं अब
हसीन फूल, हसीं पत्तियाँ, हसीं शाखें नहीं अब.

सवेरे-सवेरे काले बादल उठ आये चारों तरफ
समय टुकड़ों - टुकड़ों में फैला हैं चारों तरफ
एक-एक करके आँखों के सामने आते सब दृश्य
मेरी माँ के जीवन के आखिरी पल.

#रोमिल

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