सुबह होते ही आँखों से स्वपन चले गए
मातम का गहरा पहरा है अब
बेबस उदास गंभीर चेहरा है अब
मन में जो उड़ते थे खुशियों के पंछी चले गए
सुबह होते ही आँखों से स्वपन चले गए...
भला कोई तो होता जो दुःख बाँट सकता
जो मेरे सपनों को संग मेरे खोज सकता
चौखट से न जाने कहाँ जलते दीए चले गए
सुबह होते ही आँखों से स्वपन चले गए...
मेरी माँ के संग मेरी आँखों से स्वपन चले गए
न जाने जाकर कौन सी दिशाओं में छुप गए...
- रोमिल
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