Monday, April 23, 2012

बताओ माँ फिर मुझे नींद कैसे आएगी...

इस काली घनी रात में भी 
माँ तेरा चेहरा सूरज की तरह मेरी आँखों में चमकता है
उजला उजाला बढ़ता है
बताओ माँ फिर मुझे नींद कैसे आएगी...

यादों की घनी छाया
आँखों के दर्पण पर पड़ी रहती है
आँखों की कोठारी में चमकती तेरी तस्वीर मेरे मन-मंदिर में बनी रहती है.
बताओ माँ फिर मुझे नींद कैसे आएगी...

सोई धूप नीले अम्बर से मचल रही है
नीले समुन्दर की लहरें भी चांदनी में नहा रही है
तुमसे मिलने को मेरी व्याकुलता भी बढ़ती जा रही है
बताओ माँ फिर मुझे नींद कैसे आएगी...

साँस थम सी जा रही है
घड़ियाँ चलती जा रही है
सूरज उदय होने वाला है
बताओ माँ फिर मुझे नींद कैसे आएगी...

- रोमिल

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