Monday, April 23, 2012

अच्छा लगता है...

अच्छा लगता है...

१. किसी बीमार इंसान का घाव धोना, उसमे दवा लगाना, उन्हें दवा पिलाना और कभी दवा तैयार करनी हो तो दवा तैयार करना.

२. रात में माँ-पिता के पैर दबाना और इज़ाज़त मिलने पर या उनके सो जाने के बाद सोना.

३. शरीर में पीड़ा भोगते हुए भी, बाहर से प्रसन्न दिखना. (भाई की शादी पर माँ व्हीलचेयर पर थी.)

४. आज भी जब किसी बुजुर्ग के लिए कोई जवान लड़का नगर बस की सीट छोड़कर उठ जाता है तो मन यकीन करता है कि आज भी श्रवण कुमार और हरिश्चंद जैसे इंसान है.

५. चिट्ठी पढ़ते समय, आँखों से मोती की बूँदें टपकना. चिट्ठी का भीग जाना. फिर आँखें कुछ पल के लिए मूँद कर चिट्ठी को तकिये के लिए रख लेना, संतोष देता है. (जुदाई के समय प्रेम-पत्र प्राप्त होने पर ऐसा होता है.) 

६. जब आप शाकाहारी हो और डॉक्टर आपको मासाहारी या अंडा खाने को कहे फिर भी आप अपने धर्म मार्ग पर रहते है और शाकाहारी बने रहते है, तो मन में और विश्वास बढ़ जाता है, जीत का अनुभव होता है.

७. जब बीबी का स्वास्थ दुर्लब हो फिर भी वोह आपको सुबह की चाय बिस्तर पर दे तो एक संतोष प्राप्त होता है, उसके साहस को देखकर. फिर आप उसको विश्राम करनी की सलाह देते है और ब्रेकफास्ट और लंच बाहर करना पसंद करते है और उसके ब्रेकफास्ट और लंच का इंतज़ाम करके ऑफिस जाते है.  

करके देखो... अच्छा लगता है...  

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