बैठे-बैठे होंठों के कमल खिल जाते हैं
जब माँ के संग बिताये पल याद आते हैं.
सुख-दुःख के बिखरे मोती तारों में बंध जाते हैं
सूने अंतर्मन में तीव्र गति के पंख लग जाते हैं
ढलती उम्र में, बचपन के दिन याद आते हैं.
जब माँ के संग बिताये पल याद आते हैं.
खाली-खाली मन, विश्वास से भर जाता हैं
अँधेरी बस्ती में कोई दीपक जल जाता हैं
सरपट पथ भी गुदगुदाने, गुनगुनाने लगता हैं
दौड़-धूप के बीच एक-पल शांति का मिल जाता हैं
जब माँ के संग बिताये पल याद आते हैं.
जो कहते है यह माँ, माँ, माँ करता हैं
अपने दुःख की स्मृतियों में बंधा रहता हैं
वोह भला कहाँ मातृ-पुत्र भाव-आभाव को समझ पाते हैं
कितना भी कह डाले, लेकिन अनकहा अधिक रह जाता हैं
जब माँ के संग बिताये पल याद आते हैं.
#रोमिल
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