Monday, May 7, 2012

कलम उठाओ और माँ के नाम ख़त लिखो

कलम उठाओ और माँ के नाम ख़त लिखो
आँखों का नर्म होना लिखो होंठों की मुस्कान लिखों

किस कदर बिताये है दिन-रात लिखो
सुबह का अकेलापन लिखो रात का सूनापन लिखो

मिलने की खवाइश लिखों
साथ रहने के ख़यालात लिखों

और

जी कहता है उसकी ग़लतफ़हमियाँ दूर करो  
मोहब्बत की शुरुआत लिखो

यह भी सच है
जी कहता है उसकी कुछ न सुनो उसको कुछ न लिखों।

- रोमिल

     

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