Saturday, June 7, 2014

मजनू कोई भी हो उसका नाम लैला के बाद ही आएगा।

मियां, नाम में क्या रखा है नाम तो एक दिन खो जायेगा,
मजनू कोई भी हो उसका नाम लैला के बाद ही आएगा।

#रोमिल

zalzala bankar

zalzala bankar kisi roz na main baras jayun un par
jo yeh sochate hai ki yeh mausam kabhi barasta hi nahi...

#Romil

ज़लज़ला बनकर किसी रोज़ ना मैं बरस जाऊँ उनपर
जो यह सोचते है यह मौसम कभी बरसता ही नहीं...

#रोमिल

घर की छतें मिली हुई है, दोस्त बदलते देखे है

मियां, इन बूढ़ी आँखों ने जलते शहर देखे है  
घर की छतें मिली हुई है, दोस्त बदलते देखे है!

#रोमिल

तुम्हें क़बूल हो तो

इज़्ज़त गई, नाम गया, दौलत-शौहरत गई
रह ही क्या गया है इस सुल्तान के पास तुम्हें देने को
तुम्हें क़बूल हो तो यह ज़िन्दगी दे दूँ.

#रोमिल

Wednesday, June 4, 2014

Miya... darr kaisa?

Miya... darr kaisa?

ek na ek din yeh humgama hona hi hai
woh khadi hogi apne parchhatte pe
aur uski gali se apna janaza gujarna hi hai....

#Romil 

मियां... डर कैसा ?

एक न एक दिन यह हंगामा होना ही है
वोह खड़ी होगी अपने परछत्ते पे
और उसकी गली से अपना जनाज़ा गुजरना ही है.

#रोमिल

Thursday, May 29, 2014

hum lakhnav wale hai...

Miya... hum lakhnav wale hai...
Salam karte aur thappad jadte time nahi lagate....

Miya... yeh london wale hai, kahan lakhnav walon se milte hai
yeh hawai jahaj mein udane wale hai... kahin activa ki sair karte hai...
*
Miya... hamara haal to majnu jaisa hai...
gar woh nazarein mila jaye... to hum unko laila bana de...
*

Miya... yeh intezaar ki raat khatam karke... so jao
sitaron ki shamaein bhujao... so jao...
*
Miya... gar woh haan keh de to
hum sitaron ko bhi bistar pe bicha de...
apne garib-kaane ko bhi jannat bana de... 

#Romil

मियां... हम लखनऊ वाले हैं...
सलाम करते और थप्पड़ जड़ते टाइम नहीं लगाते... 

मियां... यह लंदन वाले है, कहां लखनऊ वालों से मिलते हैं
यह हवाई जहाज में उड़ने वाले हैं... 
कहीं एक्टिवा की सैर करते हैं...

मियां हमारा हाल तो मजनू जैसा है... 
अगर वह नजरें मिला जाए... तो हम उनको लैला बना दें... 

मियां... यह इंतजार की रात खत्म करके... सो जाओ
सितारों की समाएं भुजाओ... सो जाओ... 

मियां... ग़र वो हां कह दे तो 
हम सितारों को भी बिस्तर बिछा दें... 
अपने गरीब खाने को भी जन्नत बना दे...

#रोमिल

Tuesday, May 27, 2014

Woh bhi ek daur hua karta tha...


miya... woh bhi ek daur hua karta tha...

jab taash ke bawan patton ka daur hua karta tha...
thahakon-hulladon ka daur hua karta tha...

aangan mein, farsh pe bichha lete the chadar
haaton ki koni ko kabhi takiye par,
to kabhi goad mein takiye ko rakh lete the
to kabhi takiye pe sar rakh kar pair faila kar lete-lete khelne ka daur hua karta tha...

woh bhi ek daur hua karta tha...

kabhi saup khate,
kabhi pan khate
to kabhi chai sang, pakadiyon ka luft uthate
qukum ki begamon ka daur chalta tha... 

woh bhi ek daur hua karta tha...

baat-baat par takiya-kalaam, shayari-mazak,
woh chhedkani,
woh nadani ka daur chalta tha...

woh bhi ek daur hua karta tha... miya...
jab sultan ki mehfilon ka daur chalta tha...
taash ke bawan patton ka daur chalta tha...

#Romil

मियां... वो भी एक दौर हुआ करता था...

जब ताश के बावन पत्तों का दौर हुआ करता था... 
ठहाकों-हुल्लडो का दौर हुआ करता था...

आंगन में, फर्श पे बिछा लेते थे चादर
हाथों की कोनी को कभी तकिये पर, 
तो कभी गोद में तकिए को रख लेते थे 
तो कभी तकिए पे सर रखकर पैर फैलाकर लेटे-लेटे खेलने का दौर हुआ करता था...

वो भी एक दौर हुआ करता था...

कभी सौंफ खाते, 
कभी पान खाते,
तो कभी चाय संग, पकौड़ीयों का लुफ्त उठाते 
हुकुम की बेगमों का दौर चलता था... 

वो भी एक दौर हुआ करता था... 

बात-बात पर तकिया-कलाम, शायरी-मजाक,
वो छेड़खानी,
वो नादानी का दौर चलता था...

वो भी एक दौर हुआ करता था...मियां...
जब सुल्तान की महफ़िलों का दौर चलता था...
ताश के बावन पत्तो का दौर चलता था...

#रोमिल