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Friday, April 25, 2014

अच्छा लगता है !!!

अच्छा लगता है !!!

१. जब हम अपने जीवनसाथी का हाथ पकड़कर मन्दिर की सीढ़ियाँ चढ़ते है. वोह हज़ारों सीढ़ियाँ भी हमको कम महसूस होती है।

२. जब हम साठ की उम्र में भी अपने जीवनसाथी की हाथों की मेहंदी में अपना नाम पढ़ते है. उस समय जीवन में फ़िर से प्रेम की गति का संचार होता है।

३. जब हम किसी बुजुर्ग को अपने कन्धों का सहारा देकर रास्ता पार करवाते हुए मंज़िल तक पहुँचाते  है।

४. जब हम अपनी आमदनी का कुछ हिस्सा दान के रुप में दे देते है। किसी अंजान की ख़ुशी के लिये खर्च कर देते है।

५. जब बचपन में अपना स्कूल का जूता पॉलिश करते हुए हम अपनी सफ़ेद शर्ट गन्दी कर लेते है।

६. जब पहली बार रोटी बनाते हुए हम आटे की लोई से खेला करते है। तरह-तरह के नक्शा बनाया करते है, डिज़ाइन बनाया करते है।   

७. जब रात बार जीवनसाथी के साथ प्रेम की बातें करते हुए,  सोफ़ा पर ही एक-दूसरे के कंधों का सहारा लेकर सो जाते है।

८. जब दोनों नौकरी करने वाले जीवनसाथी - तीन दिन तुम घर की देखभाल करोगी और तीन दिन मैँ घर की देखभाल करुँगी और एक दिन मिलकर करेंगे। ऐसे आचरण का पालन करते है।    

करके देखो अच्छा लगता है। 

Monday, April 30, 2012

अच्छा लगता है...

अच्छा लगता है...

१. सुबह उठते ही सबसे पहले माँ की तस्वीर देखना.

२. जब मन उदास हो तो खाली सुनसान सड़क पर सोचते हुए चलते चले जाना और फिर किसी खाली बेंच पर बैठे रहना.

३. सुबह जब बीबी उठाये तब यह कहना "अरे ०९ बज गए, इतना लेट हो गया, तुमने मुझे पहले क्यों नहीं उठाया?"

४ पीछे से आकर माँ को जोर से झप्पी पाना और शुभ खबर सुनाना फिर उनके पैर छूना.

५. बच्चों को संस्कार वाली बातें सीखाना. हा हा हा... हमने तो नहीं सीखी, मगर अच्छा लगता है बच्चों को सीखाना.

६. खुश होने पर अकेले कमरे में डांस करना. भगवान से बातें करना उनको शुक्रिया कहना.

७. नीचे बैठ कर पनती में खाना खाना, पालथी मार कर. परिवार वालों के साथ, फिर किसी मुद्दे पर अपने से बड़े की समझदारी वाली बातें चुपचाप खाते हुए सुनना. 

करके देखो... अच्छा लगता है.

Sunday, April 29, 2012

अच्छा लगता है...

अच्छा लगता है...

१. छत पर चारपाई में लेटकर तारों को गिनना. और जब ध्रुव तारा टूटता हुए दिखे तो जल्दी से चादर में से निकलकर, दोनों हाथ जोड़कर, आँखें बंद कर अपनी खवाइश मांगना.

२. माँ जब शौपिंग करने कें लिए साथ चलने को कहें तो उनसे बचने के लिए झूठा बहाना बनाना. साथ चलो तो बैग उठाओ, मोल-भाव में समय ख़राब करो, महंगाई का भाषण सुनो और अगर उनको कुछ कपडा खरीदना हो तो ३-४ घंटे की छुट्टी. 

३. दिल से मजबूर हुई, प्रेमिका के हाथ से थप्पड़ खाना. बहुत जोर का पड़ता है मगर सच्चे प्रेम को प्रकट भी करता है. हा हा हा.

४. स्नो फाल को दोनों बाहें खोल कर महसूस करना.

५. खाना बनाते समय रसोईघर से बीबी की गाना गाते हुए आवाज़ सुनाई देना और समझ जाना आज कुछ शानदार बनने वाला है.

६. कार की अगली सीट पर बच्चे को बेल्ट से बांध देना और साथ वाली सीट पर कार चलते हुए उसे आनंदमय होते देखना.

७. अपनी छोटी सी जिद्द पूरी करवाने के लिए भूख हड़ताल करना. और जब पूरी हो जाये तो गर्व महसूस करना.

करके देखो... अच्छा लगता है...  

Friday, April 27, 2012

अच्छा लगता है...

अच्छा लगता है...

१. माँ के साथ रसोई में खाना बनाना. उनसे पूछना कौन सा जादू खाने में करती हो कि हम उंगली चाटते रहते है.  

२. सनम का गुस्सा, मैदान में जाकर फूटबाल पर या फिर बास्केटबाल पर उतारना.

३. बरसात के पानी को हथेलियों की ओखली में इकठ्ठा करना.

४. सुबह गौरैया को दाने डालना, उसके लिए कटोरे में पानी भर कर रखना.

५.  पहले बार कंडोम का उत्सुकता के साथ खोलना फिर मूह बनाकर कहना "कितना चिकनाई युक्त्र है, कितनी ख़राब महक आ रही है, हाथ कितना गन्दा हो गया, फ्लेवर सिर्फ बेचने और प्रचार-प्रसार का एक फंडा है". वोह लड़प्पन की उम्र में उत्सुकता अच्छी लगती है.

६. पेन को सिगरेट की तरह मूह में लगाकर स्टाइल मारना.

७. भागकर बस को पकड़ना. फिर जो जीत की ख़ुशी चहरे पर होती है वोह अमूल्य है.

करके देखो... अच्छा लगता है....

Thursday, April 26, 2012

अच्छा लगता है...

अच्छा लगता है...

१. माँ से किसी स्वादिष्ट खाने की चीज़ को बनवाना फिर बस उस स्वादिष्ट चीज़ को थोडा सा खाना. माँ का थोड़े से खाने पर कहना "तुमने इतना परेशां किया, सुबह से रसोई में लगी थी तब शाम को जाकर बना है और बस तुमने दो चम्मच खाए". 

२. आइना के सामने बीबी को तैयार होते देखना फिर अपने हाथों से मंगलसूत्र पहनाना या मांग भरना फिर बाहों में लेकर प्यार करना.

३. सुबह बच्चे को स्कूल बस में बैठाना और जब तक बस अगले चौराहे तक न पहुंचे तब तक हाथ हिला कर उसको प्रेम का संकेत देते रहना.

४. जब किसी लड़की का पीछा करना और वोह मुडकर एक प्यारी सी मुस्कराहट भेज दे तो प्रसन्नता से झूम उठना. जैसे कोई सफलता हाथ लग गई हो. (बहुत वर्ष पहले मैं एक टीचर के पीछे जाता था, अपने डौगी को टहलने के साथ और वोह हमेशा मुझे मुडकर मुस्कुराकर प्रेम प्रकट करती थी.)   

५. सड़क की चौराहे वाली चाय की दुकान पर बैठकर शाम को भागते हुए लोगों को देखना. यातायात की चहलकदमी को देखना. होर्न का सुनना. फिर सोचना यह भागमभाग किस लिए?

करके देखो अच्छा लगता है...

Wednesday, April 25, 2012

अच्छा लगता है...

अच्छा लगता है...

१. ओरेंज बार आइसक्रीम का दाग़ शर्ट पर लग जाना. माँ की डांट खाना.

२. पढ़ते-पढ़ते या फिर लैपटॉप पर काम करते-करते सो जाना. xxxxxxx का रात में उठकर लैपटॉप बंद करना.

३. मंदिर/ गुरुद्वारा से प्रसाद दो बार लेना. पता नही क्यों प्रसाद इतना अच्छा लगता है.

४. किताब के बीच में मोर पंख रखना.

५. सुबह xxxxxxx को अपनी बाहों के चुंगल से निकलने न देना.

६. खाली सुनसान सड़क में पड़ी बोतल या पत्थर के टुकडे के साथ फुटबाल की तरह खेलते हुए जाना.

७. भोजन थाली रोटी, चावल के साथ पाँच कटोरी लगी हुई खाना (१. सुखी सब्जी, २. रसेदार सब्जी, ३. दाल, ४. दही रायता, ५. खीर). ऐसा लगता जैसे संपूर्ण भोजन किया हो. 

करके देखो... बस अच्छा लगता है... 

Monday, April 23, 2012

अच्छा लगता है...

अच्छा लगता है...

१. किसी बीमार इंसान का घाव धोना, उसमे दवा लगाना, उन्हें दवा पिलाना और कभी दवा तैयार करनी हो तो दवा तैयार करना.

२. रात में माँ-पिता के पैर दबाना और इज़ाज़त मिलने पर या उनके सो जाने के बाद सोना.

३. शरीर में पीड़ा भोगते हुए भी, बाहर से प्रसन्न दिखना. (भाई की शादी पर माँ व्हीलचेयर पर थी.)

४. आज भी जब किसी बुजुर्ग के लिए कोई जवान लड़का नगर बस की सीट छोड़कर उठ जाता है तो मन यकीन करता है कि आज भी श्रवण कुमार और हरिश्चंद जैसे इंसान है.

५. चिट्ठी पढ़ते समय, आँखों से मोती की बूँदें टपकना. चिट्ठी का भीग जाना. फिर आँखें कुछ पल के लिए मूँद कर चिट्ठी को तकिये के नीचे रख लेना, संतोष देता है. (जुदाई के समय प्रेम-पत्र प्राप्त होने पर ऐसा होता है.) 

६. जब आप शाकाहारी हो और डॉक्टर आपको मासाहारी या अंडा खाने को कहे फिर भी आप अपने धर्म मार्ग पर रहते है और शाकाहारी बने रहते है, तो मन में और विश्वास बढ़ जाता है, जीत का अनुभव होता है.

७. जब बीबी का स्वास्थ दुर्लब हो फिर भी वोह आपको सुबह की चाय बिस्तर पर दे तो एक संतोष प्राप्त होता है, उसके साहस को देखकर. फिर आप उसको विश्राम करनी की सलाह देते है और ब्रेकफास्ट और लंच बाहर करना पसंद करते है और उसके ब्रेकफास्ट और लंच का इंतज़ाम करके ऑफिस जाते है.  

करके देखो... अच्छा लगता है...  

Sunday, April 22, 2012

अच्छा लगता है...

अच्छा लगता है...

१. जब किसी इंसान की ज़िन्दगी के बहुत कम दिन बचे हो, उस इंसान के समीप वाले बिस्तर पर सोना. उससे ढेर सारी बातें करना. अंतिम मुलाक़ात का सुख प्राप्त करना. 

२. रसोईघर में बीबी के साथ बात करते हुए कॉफ़ी की चुस्की लेना. 

३. मासिक चक्र के समय बीबी का दूरी बनाये रखने की भावना का सम्मान करना. 

४. पैरों के नीचे सूखे पत्तों को कुचलना. उसकी आवाज़ महसूस करना. 

५. बारिश की बूंदों को अपने कमरे की खिडकियों से टकराते हुए देखना. 

६. रेस्तरा में खाने का आर्डर देने के बाद, टिश्यू पेपर के साथ खेलना, कभी उस पर डिजाईन बनाना, कभी लिखना तो कभी उसका हेलीकाप्टर बनाना. 

७. रात में सोने से पहले बच्चों को शुभरात्रि कह कर चूमना. 

करके देखो... अच्छा लगता है...

Saturday, April 21, 2012

मैं आज भी

लोग कहते है बड़े होने के साथ इंसान बदलने लगता है... पर मैं शायद नहीं...

१. मैं आज भी ऑफिस उसी दुखी, उदास चहरे से जाता हूँ, जैसे बचपन में रिक्शा में बैठकर रोते हुए स्कूल जाता था. मुझे कुर्सी पर बैठकर ०८-०९ घंटे काम करना... बोरिंग है एक दम..

२. मुझे आज भी बाल कटवाना, दाढ़ी बनाना... वेस्ट ऑफ़ टाइम लगता है... बेवकूफ जैसे सैलून में बैठे रहो... इंतज़ार करो कब अपना नंबर आएगा.

३. मुझे आज भी कुल्फी उतनी पसंद है, जितनी बचपन में थी. मन करता है एक बार में ४-५ खा जाऊं. हा हा हा...

४. मैं आज भी दोस्ती और दुश्मनी दोनों बहुत शिद्दत के साथ करता हूँ. 

५. मैं आज भी माँ से उतना ही प्यार करता हूँ, जितना बचपन में करता था. सच्ची बाबा. 

६. मैं आज भी तकिये को जप्पी पाकर सोता हूँ, जैसे बचपन में सोता था. 

७. आज भी मैं बचपन की तरह नंगू-पूंगु होकर नहाता हूँ. हा हा हा हा हा हा... 

८. मैं आज भी अपने बैग में गीता और कुरान रखता हूँ, जैसे बचपन में स्कूल बैग में रखता था. 

९. बचपन की तरह आज भी मैं अकेले में रोना पसंद करता हूँ, आइना के सामने प्राथमिकता रहती है. 

१०. आज भी मैं अपने सच्चे प्यार को पाना चाहता हूँ... जिस तरह बचपन में चाहता था... हर बार प्यार मेरे करीब आता है फिर बिछड़ जाता है... न जाने क्यों?

मन से सुन्दर रहो यार... 

Friday, April 20, 2012

अच्छा लगता है...

अच्छा लगता है...


१. माँ के हाथों से सिर में तेल लगवाना.

२. फ्रेक्चर पर दोस्तों से हस्ताक्षर करवाना.

३. नई गाड़ी का होर्न जोर से बजाना.

४. हर छोटी - छोटी खुशियों पर या फिर ग्रहों से डरकर घर में पूजा रखवाना.

५. किसी पिक्चर के चर्चित संवाद की नक़ल करना.

६. बीबी के हाथ पर मेहंदी सजाना.


करके देखो... अच्छा लगता है...

Wednesday, April 18, 2012

अच्छा लगता हैं... कभी...

अच्छा लगता हैं...

१. कभी दादा जी के लिए नई शेरवानी लेकर जाना.
२. कभी दादी जी के लिए नई स्लीपर लेकर जाना.
३. कभी माँ को सोने के कंगन पहनाना.
४. कभी दूसरे के सपने को सच साबित करने के लिए जी-जान से मेहनत करना, उसकी मदद करना.
५. कभी बीबी के नाम से घर खरीदना.
६. कभी ऑफिस के दोस्तों के साथ मिलकर होली/ दिवाली मनाना.
७. कभी परिवार के साथ गुरुद्वारा माथा टेकने जाना.
८. कभी मोटर साइकिल पर जाते हुए लड़का-लड़की को देखकर दोस्तों के साथ यह तुक्का लगाना कि यह भाई-बहन हैं या यह मियाँ-बीबी हैं या यह बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड हैं. हाहाहा.
९. कभी बीबी के लिए गाना गाना... चाहे सुर हो या न हो.
१०. कभी मन से रब को शुक्रिया कहना.

करके देखो... अच्छा लगता हैं...

अच्छा लगता हैं !

अच्छा लगता हैं !

१. अपने टूथ ब्रश को माईक्रोफोन की तरह थामकर आईने के सामने गाना.

२. जब कोई आपको, पहला मोबाइल फोन लेकर देता हैं. कितनी ख़ुशी के साथ हम उसके फिचर देखते हैं. 

३. जब किसी कुर्सी या मेज के नीचे दुबककर बैठ जाना.

४. जब किसी बुजुर्ग के नंगे पैरों को अपनी गोद में कुर्सी की दूसरी तरफ थामकर बैठना. फिर लोशन को उनके टखने और एड़ियों में लगाना.

५. जब जीवनसाथी एक-दूसरे के प्यार भरे चुम्बनों के लिए उतने बेताब होते हैं, जितना एक पिल्ला दूध के लिए होता हैं. और उतनी ही मासूमियत से एक दूसरे को निहारते है, जितनी मासूमियत से एक पिल्ला देखता हैं.

Tuesday, April 17, 2012

अच्छा लगता हैं...

अच्छा लगता हैं...

१. तकिये के लिए बीबी से लड़ाई करना.
२. बेड शीट पर चाय गिर जाने पर डांट सुनना.
३. गीला टॉवेल, टीवी या बेड पर डाल देना.
४. शूज पहनकर बेड पर लेट जाना.
५. बस ऐवैये ही आइ लव यू कहना.
६. सास-बहू सीरियल के समय चुपके से केबल की लीड निकाल देना.
७. बीबी के साथ किचन में रोटी बनाने की प्रैक्टिस करना.
८. माँ की गोद में एक दम से जाकर लेट जाना.
९. हाथ में मैंगो लगा हुआ, बीबी के दुपट्टे से पोछ लेना.
१०. दादा-दादी, नाना-नानी के पास बैठकर उनकी, उनके ज़माने की बातें सुनना.
११. बीबी के सामने किसी दूसरी लड़की की खूबसूरती की तारीफ़ करना.
१२. बॉस से कहना... सर आप क्यों टेंशन लेते हो... मैं हूँ न.
१३. रात के समय चोरी से चुपके से आइसक्रीम, फ्रिज में से निकालकर खाना.
१४. दोस्तों से कहना... आल इज वेल.
१५. छोटे-छोटे बच्चों के साथ... पानी में छाई छप्पा छाई करना.


करके देखो... सच्ची अच्छा लगता हैं...

Monday, April 16, 2012

अच्छा लगता हैं...

अच्छा लगता हैं... 

१. घर से निकलते वक़्त माँ के हाथों से दही-चीनी खाना. 

२. बरसात में भीग रहा हो कोइए पिल्ला तो उसको अपनी शर्ट में छुपाकर किसी सुरक्षित जगह पहुँचाना. 

३. बरसात के मौसम में किसी गरीब की झोपड़ी का छप्पर लगवाने में मदद करना. 

४. पहाड़ों या सुनसान रास्ते पर खड़े होकर जोर से अपने महबूब का नाम पुकारना. 

५. बरसात के मौसम में चाय और पकोड़े खाना. वैसे हमारा चाय का तो कोई भी समय नहीं हैं, जब दिल में टीस उठी, तब पी ली चाय...हा हा हा.

करके देखो... सच में अच्छा लगता हैं...

Sunday, April 15, 2012

जब

१. जब अजीब ख़ामोशी छाई थी. सिर्फ माँ की सुबकियाँ सुनाई दे रही थीं. वोह दिन ज़िन्दगी का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण था. 

२. जब कोई छोटा सा चूहा चमड़े के पुराने जूतों में सुखी और सुरक्षित महसूस करता हैं.

३. जब कोई बुड्डी औरत एक छड़ी के सहारे अपनी कुर्सी से खड़ी होती हैं और धीरे-धीरे हमारे पास आती हैं.

४. जब नर्स पानी के गिलास और दो छोटी गुलाबी गोलियाँ लेकर माँ के पास आती थी और मुस्कुराकर कहती थी, दवाई का समय हो गया और दोपहर में आपकी झपकी का वक़्त हो गया हैं.

५. जब आपका मोजा और जूता घर भर में घूमता रहता हैं. 

६. जब अख़बार लपेट कर दोस्त के सर पर मरते हैं.

७. जब हम अपने बच्चे को पहली बार अपने पैरों पर चलता हुआ देखते हैं.

८. जब हॉस्टल के गलियारे में दबे पाँव चलकर हम दोस्त के कमरे तक पहुँचाते हैं, और दरवाज़े पर कान लगाकर बात सुनने की कोशिश करते हैं.

९. जब सर्दी में गर्म पानी में नहाकर, गर्म बिस्तर पर सो जाते हैं.

१०. जब हम पहली बार एक-दूसरे की रजामंदी से एक-दूसरे को प्यार करते हैं. मिलन का आनंद लेते हैं.

११. जब हम किसी को देखकर अपनी कार की खिड़की का काँच नीचे कर लेते हैं.

१२. जब हम अपने पालतू जानवर को माँ बनते हुए देखते हैं. प्रसव के समय उसकी मदद करते हैं, उसको सहलाते हैं, उससे बातचीत करते हैं. किसी बंद झिल्ली में फसे बच्चे को देखते हैं, पालतू जानवर को वोह झिल्ली साफ़ करते देखते हैं, गन्दा और चिपचिपा बच्चा निकलते देखते हैं. किस तरह माँ बनी पालतू जानवर अपने बच्चे को चाटकर साफ़ करती हैं. यह सबसे संतोषदायक अनुभव होता हैं.