kisi shaam hote hai rubaru dono
coffee shop mein... kisi bhi... coffee shop mein... pete hai coffee dono...
coffee peete-peete likhate hai kisi kore kaagaz par ek-dusare ki khataein dono...
fir tay karna ki kaun bewafa hai
tum ho, main hoon ya fir hai hum dono...
woh bewafa hai
jisne nau saal tak pal-pal kisi ka intezaar kiya
ya woh jisne musibat ke samay bhi na saath diya
ya fir bewafa hai hum dono...
chalo likhate hai ek-dusare ki khataein dono...
woh bewafa hai
jo door raha haseenao se, haseen-o-zindagi se
ya woh jo masgul raha khud hi mein, mehfilon mein
ya fir bewafa hai hum dono...
chalo likhate hai ek-dusare ki khatein dono...
chalo yeh baat bhi tumhari maani ki main bewafa hoon
nahi khareed sakta sone ki jeevar
nahi hai khud ka makaan mere pass
nahi hai kuch bhi tumhein dene ke vaste mere pass...
yeh wafaein jaaya hai
yeh intezaar karna beqaar ka kaam hai
yeh ishq, mohabbat faltu log karte hai...
chalo likh do... kore kaagaz par khataein meri...
har di hui saaza mujhe manzoor hai teri....
chalo liko do... kaagaz par bewafai meri...
#Romil
किसी शाम होते हैं रूबरू दोनों
कॉफी शॉप में... किसी भी... कॉफी शॉप में... पीते हैं कॉफी दोनों...
कॉफी पीते पीते लिखते हैं किसी कोरे कागज पर एक-दूसरे की खताएँ दोनों...
फिर तय करना कि कौन बेवफा है
तुम हो, मैं हूं या फिर हम दोनों...
वो बेवफा है
जिसने नौ साल तक पल-पल किसी का इंतजार किया
या वो जिसने मुसीबत के समय भी ना साथ दिया
या फिर बेवफा है हम दोनों...
चलो लिखते हैं दूसरे की खताएँ दोनों...
वो बेवफा है
जो दूर रहा हसीनाओं से, हसीन-ओ-जिंदगी से
या वो जो मशगूल रहा खुद ही में, महफिलों में
या फिर बेवफा है हम दोनों...
चलो लिखते हैं दूसरे की खताएँ दोनों...
चलो यह बात भी तुम्हारी मानी की
मैं बेवफा हूं
नहीं खरीद सकता सोने के जेवर
नहीं है खुद का मकान मेरे पास
नहीं है कुछ भी तुम्हें देने के वास्ते मेरे पास...
यह वफाएं जाया है
यह इंतजार करना बेकार का काम है
यह इश्क, मोहब्बत फालतू लोग करते हैं...
चलो लिख दो... कोरे कागज पर खताएँ मेरी...
हर दी हुई सजा मुझे मंजूर है तेरी...
चलो लिख दो... कागज पर बेवफाई मेरी...
#रोमिल