Monday, January 31, 2011

बड़ा अजीब हुआ करता हैं..

बड़ा अजीब हुआ करता हैं...
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कतरा कतरा सच बोलता हैं
समुन्दर चुप रहता हैं...
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चाहत तो मदीने की हुआ करती हैं
मगर इंसान, शैतान की तरफ बढता रहता हैं...
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वैसे तोह खुदा, तेरी दुनिया बहुत बड़ी हैं - २
मगर न जाने क्यों खवाबों से कम हुआ करती हैं...
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लोग, बेवफाई तोह खुद करते हैं
फिर न जाने क्यों तमन्ना वफ़ा की रखते हैं...
पराये क्या अपनों से डर लगता हैं
काँटों से नहीं फूलों से डर लगता हैं
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